हाल ही में रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में छोटे उद्योगों के भागीदारी के साथ भारत में रक्षा उपकरण बनाने पर सहमति हुई है। केंद्र, देश के उद्यमियों के साथ मिलकर भारतीय सशस्त्र बलों के लिए 31,130 करोड़ रुपये के रक्षा उपकरणों का निर्माण करेगा। बैठक में विभिन्न प्लेटफार्मों और बलों के लिए उपकरणों के पूंजी अधिग्रहण को भी मंजूरी दी गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में 38,900 करोड़ रुपये के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई। यह निर्णय भारतीय SME क्षेत्र के लिए एक बड़ा समर्थन होगा।
नई मिसाइल प्रणाली को खरीदने या अपग्रेड करने के निर्णय को भी मंजूरी दी गई है। इससे बलों की ताकत बढ़ेगी। मौजूदा शस्त्रागार में 1000 किलोमीटर की फायरिंग रेंज के साथ एक लंबी दूरी की लैन्ड अटैक क्रूज मिसाइल प्रणाली को जोड़ा जाएगा।
भारतीय वायु सेना के लड़ाकू विमानों की सीमा बढ़ाने की मांग को देखते हुए, DAC ने 21 मिग -29s और 12 SU -30 MKI खरीदने और मौजूदा 59 मिग -29 के अपग्रेड के लिए मंजूरी दी।
यह अनुमान है कि रूस से मिग -29 की खरीद और उन्नयन प्रक्रिया पर 7,418 करोड़ रुपये खर्च होंगे। SU-30 MKI उड़ानें 10,730 करोड़ रुपये की लागत से हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड से खरीदी जाएंगी।