प्रकृति के मधुर स्वरों से अनजान कुछ लोग; अपनी बातों को दूसरों तक अपनी शब्द माध्यम से ना पहुँचा सकने वाला एक बहुत बड़ा समूह है हमारे इस देश में । भारत में लगभग ऐसे लोगों की संख्या एक करोड़ नौ लाख हैं जिनके सपनों की कोई सीमा नहीं हैं ।उन सपनों को उड़ान देने के लिए एक छोटा सा प्रयास किया है kerala start up mission में स्थित Digital Arts Academy for the Deaf या फिर DAAD । शिक्षा, नौकरी ,परिवार ऐसी ज़िन्दगी के सभी किरदारों को बहुत ही अच्छी तरह से निभा सकते हैं ये लोग ।आज कल के इस improved technology की दुनिया में deaf community के लोगों की शिक्षा में बहुत बड़ा परिवर्तन लाया जा सकता है ऐसा मानना है DAAD का। रम्या ,सुलु, और आंबे जेम्स की दोस्ती ने DAAD की नींव रखी।CEO रम्या का कहना है कि – इन सालों में हमारा यही प्रयास रहा है की बधिर लोगों के लिए हम कुछ करें ।श्रवण लोगो की तरह ही बधिर को पहुँच मिले ,इसी प्रयास में है हम ।इसी लक्ष्य के साथ हमने इसकी शुरुवात की है ।
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