यदि आप जीवन में जीतने के लिए दृढ़ हैं, तो आपको इसे हासिल करने से कोई नहीं रोक सकता। गुजरात के रहने वाले भावेश भाटिया की कहानी इसका जीता-जागता उदाहरण है। भावेश 23 साल की उम्र में अपनी आंखों की रोशनी खोने तक एक होटल में एक टेलीफोन ऑपरेटर के रूप में काम कर रहे थे और आखिरकार उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। उनका परिवार गरीब था। कैंसर की मरीज उनकी मां की इलाज के अभाव में मौत हो गई। उनके पास जीवित रहने का रास्ता खोजने के अलावा और कोई चारा नहीं था।
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