भारतीय राज्यों ने शराब को अपने वित्तीय स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बताया लेकिन शराब के होने के कारण नहीं है, बल्कि न होने के कारण। भारत में कई राज्यों के लिए, शराब बिक्री राजस्व उत्पन्न करने का सबसे आसान तरीका है। लेकिन लॉकडाउन से शराब उद्योग संकट मे है ।
इस स्थिती को संभालने के लिए हाल ही में, दिल्ली, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल सरकारों ने शराब पर कर लगाया है। शराब पर उत्पाद शुल्क राज्य के खुद के कर राजस्व का तीसरा सबसे बड़ा स्रोत है।
वार्षिक रूप से डिस्टिल्ड स्पीरीट के 34 Cr केस , बीयर के 33 Cr केस, स्थानीय शराब के 30 Cr केस और भारत में शराब के 2.7 Cr केस बेचे जाते हैं। पिछले साल, केरल को भारतीय निर्मित विदेशी शराब और बीयर की बिक्री से 14,504 करोड़ रुपये का राजस्व मिला, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में अतिरिक्त 1,567 Cr है। पिछले वर्ष , भारत में शराब के 2.1 करोड़ से अधिक केस बेचे गए थे।
शराब बंदी से पिछले डेढ़ महीने में 30,000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ और प्रमुख खिलाड़ियों के शेयरों में 6 से 8 फीसदी की गिरावट आई है। शराब कंपनियों का भविष्य खत्रे मे अगया हैं
कोरोनावायरस शुल्क: पैसों की तंगी से राज्य का शराब पर कर बढ़ाने का फैसला
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