केंद्र ने चीनी कंपनियों का भारतीय कंपनियों में निवेश करने और भारतीय कंपनियों का अधिग्रहण करने पर प्रतिबंध लगाया है।भारतीय कंपनियों में चीनी निवेश को अब केंद्र सरकार की मंजूरी की आवश्यकता है।चीन सहित पड़ोसी देशों से आटोमेटिक FDI अब तक संभव था ।18 अप्रैल के अपने परिपत्र में कहा गया है कि, भारत के साथ भूमि सीमा साझा करने वाले देशों को FDI के लिए सरकार की पूर्वानुमति की आवश्यकता है।यह स्पष्ट है कि यह नियंत्रण चीन के निवेश के उद्देश्य से लिया गया है ।
स्टार्टअप्स सहित चीनी निवेश प्रभावित
कोविड के संदर्भ में जारी किए गए FDI पॉलिसी संशोधन अधिसूचना में ,स्वामित्व हस्तांतरण, विदेशी प्रत्यक्ष निवेश और किसी भी मौजूदा भारतीय कंपनियों के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष स्वामित्व के लिए केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति आवश्यक है।केंद्र का नया फैसला स्टार्टअप्स सहित चीनी कंपनियों के निवेश को प्रभावित कर सकता है।वर्तमान में, चीन ने देश की अधिकांश यूनिकॉर्न कंपनियों में निवेश किया है, जिनमें PayTm, Ola, BigBasket, Byju’s, Dream11 और MakeMyTrip शामिल हैं।
भारतीय स्टार्ट अप्स के प्रमुख निवेशक
थिंक टैंक गेटवे हाउस की रिपोर्ट है कि चीनी निवेशकों के पास भारतीय स्टार्टअप्स में 400 बिलियन डॉलर का निवेश है।इसका मतलब है कि देश की 30 यूनिकॉर्न कंपनियों में से 18 कंपनियों में चीनी फंडिंग है।China के टॉप टेक कंपनीस अलीबाबा और टेनसेंट है भारतीय स्टार्ट अप्स के प्रमुख निवेशक । भारतीय इंफ़्रा स्ट्रक्चर कंपनियों और वित्तीय संस्थानों में चीन का निवेश काफी बढ़ने की वजह से केंद्र सरकार ने ये निर्णायक फैसला लिया है ।