कोरोना आपदा ने चीन को एक अद्वितीय वित्तीय संकट में धकेल दिया है।1976 के बाद पहली बार, चीन अर्थव्यवस्था में एक बड़ी गिरावट देखी गयी । निष्क्रिय व्यापार केंद्रों, सुनसान मॉल और निष्क्रिय उत्पादन इकाइयों ने चीन की अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से हिला कर रख दिया है । माओ से-तुंग की मृत्यु के साथ, चीन की आर्थिक स्थिति जिस तरह अंधेरे में गयी थी ठीक वैसी हीं व्यापार पतन का सामना चीन अभी कर रहा है ।
आर्थिक स्तब्धता
यदि चीन इस आर्थिक झटके से तुरंत नहीं उबरता है, ये पूरे यूरोप, अमेरिका और एशिया को प्रभावित करेगा। वुहान में जन्में कोरोना को फैलने से रोकने के लिए चीन द्वारा उठाए गए कदम सही मामले में उनके अर्थव्यवस्था को पूरी तरह से निश्छल कर रहा है। कोरोना पर काबू पाने के बाद कारखाने दुबारा से चालू हो गए है लेकिन एक तिहाई उत्पादन भी नहीं हो पा रहा है । लाखों कार्यकर्ता अभी भी संगरोध में हैं और वे वापस नहीं लौटे हैं।
चीन के साथ पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था डगमगा गयी
व्यापारिक शहर शंघाई में लोग नहीं पहुंच रहे हैं। लोग पैसे खर्च नहीं कर रहें है । केवल जरूरतमंद लोग हीं देश के सबसे बड़े शॉपिंग सेंटर नानजिंग रोड पर आ रहें हैं।चीन की ओर कच्चे लोहे का निर्यात घटते हीं ऑस्ट्रेलियाई शेयर बाजार नीचे गिर गया है ।औद्योगिक उत्पादन 13.5 फीसदी गिर गया।अचल संपत्तियों जैसे भवनों और सड़कों पर निवेश प्रबंधन 24.5 प्रतिशत गिर गया।हर कोई सोच रहा है कि चीन इस स्थिति से कैसे उबरने वाला है। क्योंकि चीन की अर्थव्यवस्था पूरी दुनिया को प्रभावित कर रही है ।